उपसर्ग एवं प्रत्यय: Study Notes for CTET, TET, Samvida, SI, Vyapam

उपसर्ग एवं प्रत्यय: Study Notes for CTET, TET, Samvida, SI, Vyapam

उपसर्ग एवं प्रत्यय: Study Notes for CTET, TET, Samvida, SI, Vyapam

टीईटी एवं अन्य परीक्षाओं में हिंदी भाषा व्याकरण भाग से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते है ये प्रश्न आप  बहुत आसानी से हल कर पाएंगे यदि आप हिंदी भाषा से सम्बंधित नियमों का अध्ययन ध्यानपूर्वक करें । यहां "उपसर्ग एवं प्रत्यय: Study Notes for CTET, TET, Samvida, SI, Vyapam" बहुत ही साधारण भाषा में विषय को समझाया गया है तथा विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से भी अवधारणा को स्पष्ट किया गया है प्रस्तुत नोट्स को पढ़ने के बाद आप उपसर्ग एवं प्रत्यय से सम्बंधित विभिन्न प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे ।

उपसर्ग

जो शब्दांश किसी शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ में विशेषता लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
जैसे - अप + मान = अपमान, उपसर्गों का स्वतंत्र रूप में कोई महत्व नहीं होता परन्तु जब ये किसी शब्द के आगे लगाए जाते हैं तो उनके अर्थ को विशेष रूप देते हैं।
उदाहरण:

  • अति - (आधिक्य) अतिशय, अतिरेक,
  • अधि - (मुख्य) अधिपति, अध्यक्ष
  • अधि - (वर) अध्ययन, अध्यापन,
  • अनु - (मागुन) अनुक्रम, अनुताप, अनुज;
  • अप - (खालीं येणें) अपकर्ष, अपमान,
  • अनु - (प्रमाणें) अनुकरण, अनुमोदन.
  • अप - (विरुद्ध होणें) अपकार, अपजय,
  • अपि - (आवरण) अपिधान = अच्छादन
  • अभि - (अधिक) अभिनंदन, अभिलाप,
  • अव - (खालीं) अवगणना, अवतरण;
  •  आ - (पासून, पर्यंत) आकंठ, आजन्म;
  • उत् - (वर) उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उद्भिज्ज
  • उप - (जवळ) उपाध्यक्ष, उपदिशा;
  • उप - (गौण) उपग्रह, उपवेद, उपनेत्र
  • दुर्, दुस् - (वाईट) दुराशा, दुरुक्ति, दुश्चिन्ह, दुष्कृत्य,
  • नि - (अत्यंत) निमग्न, निबंध
  • नि - (नकार) निकामी, निजोर,
  • सम् - (चांगले) संस्कृत, संस्कार, संगीत,
  • सम् - (बरोबर) संयम, संयोग, संकीर्ण,
  • सु - (चांगले) सुभाषित, सुकृत, सुग्रास;
  • सु - (सोपें) सुगम, सुकर, स्वल्प;
  • सु - (अधिक) सुबोधित, सुशिक्षित.

कुछ शब्दों के पूर्व एक से अधिक उपसर्ग भी लग सकते हैं। उदाहरण

  • प्रति + अप + वाद = प्रत्यपवाद
  • सम् + आ + लोचन = समालोचन
  • वि + आ + करण = व्याकरण

उर्दू उपसर्ग:

  • अल - निश्र्चित, अन्तिम - अलविदा, अलबत्ता
  • कम - हीन, थोड़ा, अल्प - कमसिन, कमअक्ल, कमज़ोर
  • खुश - श्रेष्ठता के अर्थ में - खुशबू, खुशनसीब, खुशकिस्मत, खुशदिल, खुशहाल, खुशमिजाज
  • ग़ैर - निषेध - ग़ैरहाज़िर ग़ैरकानूनी ग़ैरवाजिब ग़ैरमुमकिन ग़ैरसरकारी ग़ैरमुनासिब
  • दर - मध्य में - दरम्यान दरअसल दरहकीकत
  • ना - अभाव - नामुमकिन नामुराद नाकामयाब नापसन्द नासमझ नालायक नाचीज़ नापाक नाकाम
  • फ़ी - प्रति - फ़ीसदी फ़ीआदमी
  • ब - से, के, में, अनुसार - बनाम बदस्तूर बमुश्किल बतकल्लुफ़


प्रत्यय

प्रत्यय (suffix) उन शब्दांश को कहते हैं जो किसी अन्य शब्द के अन्त में लगाये जाते हैं। इनके लगाने से शब्द के अर्थ में भिन्नता या वैशिष्ट्य आ जाता है। उदाहरण:-

यह किसी व्यक्ति की विशेषता दर्शाते समय उपयोग होता है। जैसे यह पहलवान बहुत बलवान है।

  • धन + वान = धनवान, विद्या + वान = विद्वान
  • बल + वान = बलवान, उदार + ता = उदारता
  • सफल + ता = सफलता, पण्डित + ई = पण्डिताई
  • चालाक + ई = चालाकी, ज्ञान + ई = ज्ञानी

इसका उपयोग एक वचन शब्दों को बहुवचन शब्द बनाने के लिए किया जाता है।

  • भाषा + ओं = भाषाओं, शब्द + ओं = शब्दों
  • वाक्य + ओं = वाक्यों, कार्य + ओं = कार्यों
  • नदी + याँ = नदियाँ, प्रति + याँ = प्रतियाँ

प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-
  1. कृत प्रत्यय
  2. तद्धित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय

वह शब्दांश जो क्रियाओं (धातुओं) के अंत में लगकर नए शब्द की रचना करते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं । कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं ।
जैसे- वच् + अन् = वचन, घट+ अना= घटना, लिख+आवट= लिखावट आदि।

2. तद्धित प्रत्यय

जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के अंत में लगकर नए शब्द बनाते हैं तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे- आध्यात्म+ इक= आध्यात्मिक , पशु+ त्व= पशुत्व आदि।

उपसर्ग एवं प्रत्यय कई बार शब्द इन दोनों के मेल से बनते हैं उपसर्ग विभिन्न भाषाओँ में प्रयोग होते हैं जिनमे से प्रमुख निम्नलिखित हैं   -

  1. संस्कृत के उपसर्ग
  2. हिन्दी के उपसर्ग
  3. उर्दू के उपसर्ग
  4. उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय